Thursday, November 21, 2019

दुनिया में कहां लोग खाते हैं सबसे ज़्यादा चीनी

नामचीन मेडिकल जर्नल लैंसेट में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़-2019 की एक स्टडी प्रकाशित हुई. इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने को इसराइली मीडिया में काफी सेलिब्रेट किया गया.

दरअसल, इस स्टडी में दुनिया भर के 195 देशों के स्वास्थ्य आंकड़ों के विश्लेषण शामिल होते हैं. इस स्टडी से यह जाहिर हुआ है कि इसराइल दुनिया का वैसा देश है जहां खान पान से होने वाली मौतों की दर सबसे कम होती है.

इसके बाद दुनिया भर में ऐसे आलेख लिखे गए जिसमें लोगों को इसराइली लोगों की तरह खाने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं तो फिर दुनिया के किसी भी देश के नागरिक की तुलना में औसतन ज्यादा चीनी का इस्तेमाल करेंगे.

2018 में, इसराइल में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत 60 किलोग्राम से ज्यादा थी, यानी औसतन प्रति व्यक्ति रोजाना 165 ग्राम से ज्यादा चीनी.

बीबीसी ने इंटरनेशनल शुगर आर्गेनाइजेशन (आईएसओ) से जो आंकड़े हासिल किए हैं उसके मुताबिक यह दुनिया में सबसे ज्यादा चीनी की खपत है.

इसराइली नेशनल काउंसिल ऑफ डायबिटीज के प्रमुख और दुनिया भर में डायबिटीज़ के एक्सपर्ट के तौर पर जाने जाने वाले प्रोफेसर इटामार राज बताते हैं, "इसराइल में औसत वयस्क हर दिन 30 चम्मच से ज्यादा चीनी खाता है- यह आपदा से कम नहीं है."

सबसे ज्यादा चीनी खाने वाले पांच देशों में इसराइल के बाद मलेशिया, बारबेडोस, फिजी और ब्राजील का नंबर आता है.

वहीं दूसरी ओर, दुनिया भर में सबसे कम चीनी की खपत उत्तर कोरिया में है, जहां 2018 में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत 3.5 किलोग्राम थी. जबकि पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया में यह खपत प्रति व्यक्ति 30.6 किलोग्राम थी.

अमरीका में खान पान के चलते बीमारियों की समस्या भी हैं और वहां इसको लेकर काफी अध्ययन हुए हैं. लेकिन अमरीका में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत 31.1 किलोग्राम थी, इसके चलते अमरीका दुनिया भर में चीनी खपत करने वाले शीर्ष 20 देशों में भी शामिल नहीं है.

लेकिन आंकड़ों के हिसाब से चीनी की खपत सबसे ज्यादा भारत में होती है. 2018 में भारत में 25.39 मिलियन मीट्रिक टन चीनी की खपत हुई है, यह यूरोपीयन यूनियन के सभी देशों को मिलाकर चीनी की खपत से कहीं ज्यादा है.

कई बार खपत के आंकड़ों से यह पता नहीं चलता है कि लोग अपने खाने पीने में चीनी का कितना इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा यह भी समझने की जरूरत है कि जिसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ शुगर फ्री कहते हैं उसे तैयार करते वक्त ही उसमें चीनी मिला दी जाती है. इसके अलावा कुछ फूड में चीनी की मात्रा स्वभाविक तौर पर ज्यादा होती हैं, जैसे कि फलों का जूस.

इन सबको जोड़ दें तो दुनिया भर में चीनी की खपत लगातार बढ़ रही है. इंटरनेशनल शुगर आर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक 2001 में चीनी की खपत 123.4 मिलियन मीट्रिक टन थी जो 2018 में बढ़कर 172.4 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया है.

लेकिन सवाल यही है कि हम लोग ज्यादा चीनी क्यों खा रहे हैं?

इसकी एक प्रमुख वजह तो यही है कि परंपरागत तौर हमारे शरीर के लिए ऊर्जा के स्रोत के तौर पर चीनी सस्ता और सुलभ है.

अमरीकी फूड एंड एग्रीकल्चरल आर्गेनाइजेशन (एफएओ) के मुताबिक भारत में चीनी, "आम लोगों के इस्तेमाल का जरूरी अवयव और गरीबों के लिए ऊर्जा का सबसे सस्ता स्रोत है."

हाल के दशक में देश भर में चीनी की खपत बढ़ी है. साठ के दशक में देश भर में साल भर में 2.6 मिलियन मिट्रिक टन चीनी की खपत होती थी जो नब्बे के दशक के मध्य में आते आते 13 मिलियन मिट्रिक टन तक बढ़ गया था.

बीते पांच दशकों में हमारे खान पान में प्रोसेड फूड की खपत भी दुनिया भर में बढ़ी है.

अमरीकी कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2012 के शुरुआती महिलों तक दुनिया भर में फूड प्रॉडक्ट की बिक्री में 77 प्रतिशत हिस्सा प्रोस्सेड फूड का है.

प्रोस्सेड फूड का सबसे अहम अवयव होता है चीनी. कई बार स्वाद और कई बार प्रॉडक्ट के इस्तेमाल की अवधि को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल होता है.

दुनिया भर के कई स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक में वैश्विक मोटापा महामारी की सबसे अहम वजह यह है कि शुगर की खपत रही है.

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